मंगलवार, 21 मई 2013

सपा सरकार का खेल आतंकियो को मिल रहा बेल ?


समाज वादी पार्टी जब उत्तर प्रदेश में दुबारा सत्ता में आई तो आम जनता को उम्मीद थी की इस बार सत्ता की कमान मुल्ला मुलायम ने अखिलेश यादव जैसे युवा नेता को सौपी है उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश विकाश की राह में अग्रसर होगा किन्तु अखिलेश के सत्ता समहालने के अभी एक वर्ष और कुछ ही महीने हुए है सरकार का रंग रूप दोनों साफ झलकने लगा है मुश्लिम तुष्टिकरण की निति के तहत अखिलेश सरकार ने बिना शर्म राष्ट्र विरोधी गतिविधिओ में सामिल अपराधियो के मुक़दमे वापस लेने की घोषणा कर दी यही नहीं फैजाबाद सीरियल बम धमाको के आरोपी खालिद मुजाहिद को छुडवाने के सभी हतकंडे सरकार द्वारा अपनाये गए लेकिन ऊपर वाले की मार देखिये सारा खेल धरा का धरा रह गया और खालिद की मौत कोर्ट से वापस लाने के क्रम में हो गई वही दूसरा मामला मोह्हमद इक़बाल का है जो की हुजी का प्रमुख सद्श्य था और युवाओ को ट्रेनिंग देकर आतंकी बनाता था अदालती पत्रावली के अनुसार हूजी के आतंकी जलालुद्दीन उर्फ बाबू तथा नौशाद की गिरफ्तारी के बाद 23 जून 2007 को थाना वजीरगंज में रिपोर्ट दर्ज की गई थी और उसके बाद इक़बाल को पुलिस ने गिरफ्तार किया था यही नहीं सिविल कोर्ट कचेहरी लखनऊ में हुए बम विस्फोट के आरोपियों सहित सात आतंकियों पर चल रहा मुकदमा वापस लेने के लिए भी सपा सरकार ने अर्जी दी है साथ ही कचहरी सीरियल ब्लास्ट के आरोपी खालिद मुजाहिद की मौत के बाद अब सपा सरकार दूसरे अभियुक्त तारिक काजमी के विरुद्ध दर्ज मुकदमे की वापसी के लिए हाई कोर्ट में विशेष याचिका दायर करेगी। यह कदम बाराबंकी की न्यायालय से मुकदमा वापसी की शासन की सिफारिश खारिज होने के बाद उठाया जा रहा है। सोमवार को गृह सचिव आरएन उपाध्याय ने बताया कि कुल 29 मामलों में 15 मामलों में मुकदमा वापस लेने के लिए संबंधित अदालतों में अर्जी दी गई है। उन्होंने बताया कि दस वादों में निर्णय नहीं हो सका है, जबकि बाकी प्रकरण न्याय विभाग के पास विचाराधीन हैं। सपा सरकार ने जिन आरोपियों का मुकदमा वापस करने की पहल की है, उसमें वर्ष 2007 में गोरखपुर, फैजाबाद, वाराणसी व लखनऊ में हुए विस्फोट के आरोपी तारिक कासमी व खालिद मुजाहिद का नाम प्रमुख है। इनके अलावा 2008 में रामपुर में सीआरपीएफ कैंप में हुए हमले के आरोपी जावेद उर्फ गुड्डू, ताज मुहम्मद और मकसूद का भी मुकदमा वापसी की सूची में शामिल हैं। राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोपी नौशाद, याकूब और नासिर हुसैन के लखनऊ में चल रहे मामले को भी वापस लेने के लिए अर्जी विचाराधीन है। अहमद हसन उर्फ बाबू व शमीम की वाराणसी की अदालत, मुहम्मद कलीम अख्तर और अब्दुल मोइन की लखनऊ अदालत तथा अरशद, सितारा बेगम और इम्तेयाज अली की कानपुर नगर की अदालत में रिहाई के लिए सरकार ने अर्जी लगाई है।गौरतलब है कि सपा के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद डॉ. रामगोपाल यादव ने रविवार को इटावा में मुस्लिम समाज द्वारा आयोजित एक समारोह में कहा था कि पार्टी अब तक प्रदेश में 200 निर्दोष मुस्लिम नौजवानों को जेलों से रिहा करा चुकी है और 400 मुस्लिमों से मुकदमे वापस हो चुके हैं। रामगोपाल कैसे कह सकते है ये निर्दोष थे यदि थे तो इन्हें फ़साने वाले पुलिस कर्मियों पर सरकार ने क्या करवाई की यदि नहीं की तो क्यों ?आखिर जब ऐसे ऐसे संगीन मामले इन लोगो पर दर्ज हो तब क्यों सरकार इनसे यह मुकदमा वापस लेना चाहती है सिर्फ एक वर्ग विशेष का वोट लेनेके लिए देश की सुरक्षा के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ ?
blast ka aaropi jalauddin
blast ka aaropi jalauddin
गौरतलब हो की इन बम विस्फोटो में सैकड़ो जाने गई सैकड़ो घर बर्बाद हुए बच्चे अनाथ हुए ,औरते विधवा हुई उन्हें इंसाफ कौन देगा क्या सरकार की उन परिवारों के प्रति कोई जिम्मेवारी नहीं है ? यह विचारनीय प्रश्न है यदि ये निर्दोष है तो न्यायलय सक्षम है इन्हें बाइज्जत बरी करने के लिए साथ ही ऐसे पुलिस वालो पर भी करवाई होना चाहिए जिन्होंने इन्हें निर्दोशो को बेवजह ऐसे मुकदमो में फसाया ?यहाँ सवाल यह उठता है की वोट बैंक की राजनीती के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने की इजाजत सरकार को किस ने दी साथ ही सरकार द्वारा उठाये गए ऐसे कदम से सुरक्षा बलों और पुलिस तंत्र का भी मनोबल टूटेगा .यही नहीं ऐसे निर्णयो से देश के मुसलमानों में भी भ्रम की स्तिथि उत्पन होगी की मुसलमान युवाओ को पुलिस बेवजह फसाती है और ऐसा देखा भी जा रहा है जब पुलिस किसी मुस्लिम युवक को गिरफ्तार करती है तो अब इसका मुखर विरोध होने लगा है लोग पुलिस पर सवालिया निसान खड़े करने लगे है मेरे विचार से समाज वादी पार्टी सरकार के ऐसे निर्णयो का पुरे देश में विरोध होना चाहिए ताकि कोई भी सरकार वोट बैंक की राजनीती के लिए देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने की हिम्मत ना दिखाए .
अखिलेश यादव से भारत का आम नागरिक होने के नाते ५ सवाल ?
(१) क्या जिन आरोपिओ के मुक़दमे वापस लिए जा रहे है वो सभी निर्दोष है ?
(२) निर्दोष है तो ऐसे पुलिस वालो पर सरकार क्या करवाई कर रही है ?
(३) क्या मुकदमा वापस लेने से सुरक्षा बलों का मनोबल नहीं टूटेगा ?
(४) विस्फोटो में मारे गए नागरिको को न्याय कौन देगा ?
(५) नागरिको के पुनर्वास के लिए सपा सरकार ने क्या कदम उठाये है आज तक ?

1 टिप्पणी:

  1. samaj wadi party ke maha mahim khud hi dal badloo neta hain.. azim khan ji ke kya kehne ... police ko to wo apne jeb mei hi pasand karte hain.. ab aye chote miya .. akhilesh.. socha tha padhe likhe nau jawan hain.. kuch karenge state ki tarakki to wo bhi abba ke aur chacha ke raste chal pade.. Dubey ji isse acchi thi Maya sarkar .. gundagardi to band karwa hi diya that Maya Devi nei .. ab phir free hogaye Raja bhaiya .. aur kai kukhyat atankwadi .. jaane do jaati hain jaan.. Mulayam Singh aur Akhilesh bhaiya ka pariwar to safe hai na.. vote bank politics jindabad!

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