शनिवार, 3 मई 2014

16 मई

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र मे लोकतंत्र का महापर्व अब समाप्त होने वाला है लोगो को अब इंतजार सिर्फ़  16 मई का है जब नतीजे सामने होंगे क्योकि  यह चुनाव भारत के भविष्य  का  निरधारण करने वाला साबित होने वाला  जिस कारण आम आदमी से लेकर अभिजात्य वर्ग कि भी निगाहे टिंकी हुए है कि आखिर परीणाम क्या निकलेगा।  लेकिन इससे अलग 16 वी लोकसभा के इस चुनाव मे परीणाम जो भी  आये कई बातों पर विचार करना आवश्यक है कि कैसे विभिन्न राजनीतिक दलों ने पुरे चुनाव को मुददा विहीन बनानें कि कोशिस की चुनाव से पुर्व जंहा महंगाई ,भरस्टाचार ,आतंकवाद ,सुरक्षा ,शिक्षा ,रोजगर जैसे मुद्दे हावी थे जैसे जैसे चुनाव बीतते गये सभी आवश्यक मुद्दे जो आम नागरिको के हितो से  जुड़ें हुए थे उन्हे स्वार्थ कि राजनीती कि  बलिवेदी पर चढ़ा दिया गया और उसके स्थान पर  जाति , धर्म आधारित राजनीति को प्राथमिकता  कि सूची मे रख कर चुनाव लड़ने कि कोसिस कि  जा रहीं है जिस वजह से आम आदमी खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगा है। कांग्रेस और  सहयोगी दल हर वो हटकंडा अपना रहे है जिससे कि वो सत्ता मे बने रहे विपक्ष के लिये  ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे है जो लोकतंत्र को शर्मशार करने वाली है ? धर्म विशेष के मतदाताओं को  लुभाने कि हर कोसिस इनके द्वारा कि जा रही है जिससे  आतंकवाद के खिलाफ जारी लड़ाई को भारी नुकसान पहुँच सकता है जबकि देश इन सबसे आगे निकलना चाहता है लेकिन इनकी सोच 2002 से आगे नहीं बढ़ रही है ये " विकास के मॉडल को टॉफी मॉडल तो  बताते है लेकिन इनका मॉडल क्या होगा इस पर ये चुप्पी साध लेते है "?  देश कांग्रेस के 10 वर्षो के कुशासन से बाहर निकलना चाहता है और यह बात सत्ता प्रतिष्ठान को बखूबी पता है जिस वजह से अब ये हर वो कदम उठा रहे है जो लोकतंत्र के लिये खतरनाक है और उसी परिपेक्ष मे जहा इन्होने असाम  के ताजा दंगो के लिये नरेन्द्र मोदी को दोषी ठहराने मे कोइ देर नही कि वंही मुख़्तार अंसारी जैसे माफिया डॉन से भी समर्थन स्वीकार कर लिया हलाकि इससे पूर्व जब लालू यादव जेल से निकले थे और दोनो पार्टियो मे गठबंधन हुआ था तभी यह पता चल गया था कि इनकी मंसा क्या है और ये चुनावी  वैतरणी कैसे पार करना चाहते है। लेकिन मतदाता अब जागरूक हो गये है और इन सबसे उपर उठ कर नये भारत के निर्माण मे अपनी भूमिका निर्धारित करने मे अपना योगदान बढ़ चढ कर दे रहे है जो कि बढ़ते हुए मतदान प्रतिशत से पता चलता है कि कैसे भीषण गर्मी मे भी मतदाता अपने घरो से निकल कर मतदान केन्द्र तक पहुच रहे है  अब इंतजार है तो सिर्फ़ 16 मई का जब बक्सा खुलेगा और एक नये भारत का निर्माण सुनिश्चित हो पायेगा।  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें